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सम्पूर्ण सूर्य पूजन

सम्पूर्ण सूर्य पूजन

शक्ति और आरोग्य के देवता सूर्य देव, जानिए पूजन विधि एवं सूर्य देव से जुड़े चमत्कारी उपाय



प्राचीन काल से भगवान सूर्य की उपासना का उल्लेख है। सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा और ईश्वर का नेत्र बताया गया है। सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य एवं शक्ति के देवता के रूप में माना जाता हैं। सूर्यदेव की कृपा से ही पृथ्वी पर जीवन है। ऋषि-मुनियों ने उदय होते हुए सूर्य को ज्ञान रूपी ईश्वर बताते हुए सूर्य की साधना-आराधना को अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं कल्याणकारी बताया है। प्रत्यक्ष देवता सूर्यदेव की उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है। जिनकी साधना स्वयं प्रभु श्री राम ने भी की थी। प्रभु श्रीराम के पूर्वज सूर्यवंशी थे। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की उपासना करके ही कुष्ठ रोग दूर कर पाए थे। 

-: सूर्य की साधना का महत्व :- 

भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव की साधना-आराधना का अक्षय (जिसका क्षय न हुआ है) फल मिलता है। सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि एवं सेहतमंद का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य को नवग्रहों में प्रथम ग्रह और पिता के भाव, कर्म का स्वामी माना गया है। जीवन से जुड़े तमाम दुखों और रोग आदि को दूर करने के साथ-साथ जिन्हें सन्तान नहीं होती उन्हें सूर्य साधना से लाभ होता हैं। पिता-पुत्र के संबंधों में विशेष लाभ के लिए सूर्य साधना पुत्र को करनी चाहिए। 

-: सात घोड़ों के रथ पर सवार रहते हैं भगवान सूर्य :-

हमारी सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं, जिन्हे शक्ति एवं स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है। भगवान सूर्य का रथ, यह प्रेरणा देता है कि हमें अच्छे कार्य करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी जीवन में सफलता प्राप्त होती है। 

-: मन्त्र से मूर्ति तक कुछ ऐसे प्रारंभ हुई सूर्य साधना :-

पहले यह साधना मंत्रों के माध्यम से हुआ करती थी लेकिन कुछ समय के बाद में उनकी मूर्ति पूजा भी प्रारंभ हो गई। जिसके बाद बहुत सारे जगह पर उनके भव्य मन्दिर बनवाए गए। प्राचीन काल में बने भगवान सूर्य के अनेक मन्दिर आज भी भारत में हैं। सूर्य की साधना-अराधना से जुड़े प्रमुख प्राचीन मन्दिरों में कोणार्क, मार्तंड और मोढ़ेरा आदि हैं। 

-: सूर्य की साधना को समर्पित है रविवार का दिन :-

रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। इस दिन भगवान सूर्य की साधना-आराधना करने पर शीघ्र ही उनकी कृपा प्राप्त होती है। रविवार के दिन भक्ति भाव से किए गए पूजन से प्रसन्न होकर सूर्यदेव अपने भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। 

-: इस विधि से करें सूर्य की साधना :-

सनातन परम्परा में प्रत्यक्ष देवता सूर्य की साधना-उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है। सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें "ॐ घृणि सूर्याय नम:" कहते हुए जल अर्पित करें। सूर्य को दिए जाने वाले जल में रोली, लाल फूल, चावल, गंगाजल मिलाकर अर्घ्य दें। सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन पर बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य मन्त्र का कम से कम 108 बार जप करें। 

-: सूर्योदय के समय ही नही सूर्यास्त के समय भी देते हैं अर्घ्य :-

सूर्यदेव को उदय होते हुए ही नहीं बल्कि अस्त होते समय भी अर्घ्य दिया जाता है। भगवान भास्कर की डूबते हुए साधना सूर्य षष्ठी के पर्व पर की जाती है। जिसे हम छठ पूजा के रूप में जानते हैं। इस दिन सूर्य देवता को अर्घ्य देने से इस जन्म के साथ-साथ, किसी भी जन्म में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। अस्त हो रहे सूर्य को पूजन करने के पीछे ध्येय यह भी होता है कि — ‘हे सूर्य देव, आज शाम हम आपको आमंत्रित करते हैं कि कल प्रातःकाल का पूजन आप स्वीकार करें और हमारी मनोकामनाएं पूरी करें। 

-: क्यों करते हैं सूर्य के तीन प्रहर की साधना :-

सूर्यदेव की दिन के तीन प्रहर की साधना विशेष रूप से फलदायी होती है। 
1. प्रातःकाल के समय सूर्य की साधना से आरोग्य की प्राप्ति होती है। 
2. दोपहर के समय की साधना साधक को मान-सम्मान में वृद्धि कराती है। 
3. संध्या के समय की विशेष रूप से की जाने वाली सूर्य की साधना सौभाग्य को जगाती है और संपन्नता लाती है। 

-: सूर्य के इस मन्त्र से पूरी होगी मनोकामना :-

सूर्य की साधना में मंत्रों का जप करने पर मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है। सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तमाम तरह की बीमारी और जीवन से जुड़े अपयश दूर हो जाते हैं। सूर्य के आशीर्वाद से आपके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है। जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता दिलाने वाले सूर्य मंत्र इस प्रकार हैं 

एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।
ॐ घृणि सूर्याय नमः।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पतेए अनुकंपयेमां भक्त्याए गृहाणार्घय दिवाकररू।।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।

-: समृद्धि ही नहीं सेहत से भी जुड़े हैं सूर्य देव :-

सूर्यदेव की साधना से न सिर्फ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि आरोग्य भी प्राप्त होता है। सूर्य को किए जाने वाले नमस्कार को सर्वांग व्यायाम कहा जाता है। पढ़े सूर्य नमस्कार के मंत्र 
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ भास्कराय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ मित्राय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ खगय नमः।
ॐ पुष्णे नमः।
ॐ मारिचाये नमः।
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सावित्रे नमः।
ॐ आर्काय नमः।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।